सभी से छुपाया अपने दिल का राज़,
कि कौन है वो जिस से मुहब्बत कर बैठा,
लबों से कुछ पता न चल पाया उन्हें,
वह आँखें खोलने की जुर्रत कर बैठा;
पता करना चाहा सभी ने ख़त-ए-उल्फत का हिसाब,
कि कितने कलम घिस दिए हैं उसने,
सब तलाशा उन्होंने, कुछ पता न चल पाया,
वह दिल धड़काने की हिमाक़त कर बैठा;
लबों से उसका नाम छूते ही हो रही थी लर्जिश,
फिर भी उसे पा जाने की ख्वाहिश कर बैठा,
सोचा दीवानगी में इश्क बदनाम ना हो जाए कहीं,
वह साँसें रुक जाने की गुजारिश कर बैठा....
ख़त-ए-उल्फत = प्रेम पत्र , लर्जिश = कँपकँपाहट